Rekha mishra

Add To collaction

लेखनी कहानी -02-Feb-2022

एक श्राप

भाग- 15

दादाजी की गाड़ी की आवाज आगयी है तुम लोग काम चालू रखो, नील यार शाम हो गई है  अभी काम बाकी है तू निकला यार ! मैं ओवर नाइट् कर लूँगा उन्हें बुरा लगेगा अगर हमारा झूठ पकडा गया। मैं तो बोल रहा हूं, कल के काम के बाद अपन आना छोड़ देंगे। इन्हें भी अपना परिवार मिल ही जाएगा तो कुछ याद रह नहीं पायेगा, यार लव मुझे समझ ये नहीं आ रहा ये पहली ही मुलाकात में सब कैसे बता सकतीं हैं कहीं इन्हें पहले से ही तो पता नहीं, क्या मालूम यार उन्होंने खुद बोला है वो विचर फैमली से हैं, हो भी सकता है, तुझे बताना चाह रहीं हो। तभी दादाजी मेरे बच्चे कहाँ तक पहुंचे उसी बाग के पास वो आकर बैठ गए, बस दादू सा होने ही वाला है, मेहनती बच्चे दिल ले जाते हैं मेरा, सुनो बच्चों को चाय नाश्ता कराया के नहीं ,वो दादी बोल रहें हैं मुझे तो ध्यान नहीं रखूंगी क्या, हाँ ये तो तुम्हारी कमजोरी है। दादी बोल कर कोई तुम से कुछ भी लेकिन जाए। हाँ खुद के तो बच्चे हुए नहीं तो जो बच्चे हैं वो ही हमारा सब हुए ना। आप बताए क्या रहा घर का, मुझे उम्मीद नहीं थी बच्चे देखते ही पहचान गए लेकिन हमारा परपोता जिसके लिए जी तोड़ मेहनत कर रहा हूं वो नहीं था,मालूम हैं मेरे ही कॉलेज में पढ़ाई कर रहा है वो, वाह रे भाग्य बच्चा कितनी बार सामने से गुजरा होगा मैं पहचान तक नहीं पाया, बहुत प्यारा परिवार है हमारे बीच प्यार तब जैसा ही है ये तो मेहर रही भगवान की आज भी भाइयों में काफी प्यार बहुएं भी बड़ी अच्छी लगी। जबरदस्ती खाना खिला ही दिया। कल सुबह ही सब आ जाएंगे। मैने उन्हें सब बता दिया। की कल हमारी तकलीफों का अंत हो जाएगा। बच्चो और चाय लोगे। नहीं दादू सा सब दिया दादी ने और कहानियां भी सुनाई। दादू सा हँसते हुए इन्हें कहानिया सुनाने का बहुत शौक है और तुम लोगों की दादी के पास किस्से भी बहुत है आखिर इतने साल हम दोनों इन्हीं की कहानी किस्सों के सहारे जीते आ रहे हैं। ओर तो ओर दादी हमे जड़ी बूटियां खिला पीला कर बुढ़ा भी नहीं होने देती। सच कहूं तो इन्हीं की वजह से आज जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य पूरा होगा। दादू सा मुझे कुछ अजीब लग रहा है मैं घर चला जाऊँ, हाँ चला जा एक भी रुक जाओ मैने भी करवा देता हूँ। नील वहां से निकल जाता है। आज नील रोज की तरह खाना खाकर दूसरे बंगले पर जाता है लेकिन 12 बजने को आए उसे कुछ नहीं हो रहा था वो पूरे 4 बजे तक जगा रहा तब भी नहीं, ये क्यूँ कैसे उसे पता नहीं शायद महुआ के पौधे ने असर दिखा दिया आखिर इतने घंटे उन्हीं के बीच रहा। सुबह का माहौल काफी अच्छा था सब खुश थे फिर नील ने भी जाकर सुनाया कि कल रात वो ठीक रहा, सब जल्दी तैयार हो रहे आज दादाजी के जाना है। ओर तैयार होकर चले भी गए बेचारे लव की तो बैंड बज गई पता चला दादाजी वही सोये फिर उठकर लग गए काम पर, दादी ने पूरी हवेली को दुल्हन सा सजाया दरवाजे पर बैंड बाजे हमारा स्वागत कर रहे थे और नील को देखते ही उसकी दादी उस पर हजारों की गाड़ियां वार रहीं हैं। मेरा बच्चा। नील उन्हें गोद में उठा कर अंदर ले जाता है, क्यूंकि एक दिन पहले वो जान चुका था ये वो महान महिला है जिसने अपना सब हमारे परिवार पर कुर्बान किया। दादाजी  नील को देख देखा मेरा परपोता लगता है ना मेरे जैसा ही। बिल्कुल बनूँगा भी आपके जैसा। सब मिलकर खाना खाते हैं शाम तक खूब हंसी खेल बातेँ होती हैं दादाजी अपने किस्से सुनाते रहे। रात का खाना भी हुआ। नील ने लव को बुला लिया जब हम सब अंदर सोने जाएंगे तो बाहर तू सब औरतों का ध्यान रखना कुछ गडबड होती है अगर तो लव भी आ जाता है दादा दादी से नील उनको मिलाता है। अब बस सब सोने जाने को तैयार थे बगीचे में सबसे लिए बिस्तर लगा दिए गए। ओर दादाजी छोटी बच्ची को भी अपने साथ ले गए। सभी औरतें बगीचे के बाहर काफी समय तक जगती रही घूमती रही अंदर भी सब जाग कर बातेँ करते रहे। करीबन 3 बजे के आसपास जब सो गए तब दादी अंदर  पूजा स्थल पर गई और कुछ बोलते हुए उन्होंने कोई औषधि पी ली। नील बिल्कुल ठीक था उसे भी कुछ नहीं हुआ। सुबह 4 बजे बाद सब बगीचे से बाहर आए औरतें भी उठ गई नील लव दादी कहाँ है होंगी बाथरूम में 20 मिनट बाद भी जब वो नहीं दिखी तो दादाजी मंदिर में गए वहाँ दादी ला शरीर ठंडा पड़ा था, वो हमारे बीच नहीं रही। उनके हाथ में एक लेटर था। दादाजी वहीं गिर पड़े वो ना कुछ बोल पाए ना कुछ हलचल, उनके गिरने की आवाज से सब मंदिर पहुंचे खुशी गम में बदल गई। लव ने लेटर  जोर से पढ़ा।आज मैने आपको आपके परिवार से मिला दिया, आपके प्यार के बदले मेरी छोटी सी सौगात आप सभी के लिए जब मैं मेरी बड़ी बहन से मिली तब उन्होने कहा था महुआ  के तीन प्रजाति के पौधों का बाग और हमारे वंश में किसी के प्राण। आपको बताती तो आप मानते नहीं इसलिए आधा उपाय ही बताया। ओर हाँ नील और लव मुझे तुम्हारी सच्चाई पहले दिन से ही पता है श्यामा और दुध वाला मेरे वफादार नौकर थे। मेरे बच्चों तुमसे जी भर कर बात इसलिए कि ताकि शांति से मर सकूँ। मैने मेरे पोते को कहानी भी सुनाई अपने हाथ का खाना भी खिलाया। पर हाँ लव मेरे बच्चे मेरे नील का साथ कभी मत छोड़ना। तुम्हारी प्यारी दादी, सभी आँखों में आँसू थे। ओर दादाजी को एक हार्ट अटैक आया उन्होंने नील के हाथों में ही दम तोड़ दिया। इस तरह ये परिवार श्राप से मुक्त हुआ। लेकिन घर के दो बलिदानी लोगों को खो भी दिया। दादी माँ का बलिदान बताता है कि विचर समुदाय बुरा नहीं, लोगों के हित में भी काम करता है। ओर दादाजी का बलिदान के उन्होंने परिवार को श्राप से मुक्ति दिलाने का भरसक प्रयत्न किया।

                   धन्यावाद।

आशा करती हूँ आप सभी को लेखनी पर मेरा पहला उपन्यास पसंद आया होगा।

लेखनी संग्रह
लेखिका- रेखा मिश्रा 

   14
7 Comments

Sandhya Prakash

22-Mar-2022 12:52 PM

Ab tk ki khani achchi thi, badhiya likha aapne.

Reply

Rekha mishra

05-Mar-2022 07:54 AM

जल्द ही दूसरा उपन्यास आप लोगों के समक्ष प्रस्तुत करने का प्रयास रहेगा।

Reply

Rekha mishra

05-Mar-2022 07:53 AM

Thanks to appriciat me sir/madam,definetly I'll do my best for lekhny.com

Reply